जो उदय हुआ है वह अस्त भी होगा
🖊️सौरभ वीपी वर्मा
तथागत गौतम बुद्ध के धर्मोपदेशों (त्रिपिटक) से बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ,उपदेश शब्द को लेकर बसपा ने देश- प्रदेश की जनता को एक बड़ा संदेश दिया था जिसका परिणाम रहा कि मायावती का एक दौर स्वर्णिम युग की तरह देखा जा सकता है ।चाहे राजस्थान , मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ , पंजाब , हरियाणा ,झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में सीटों को निकाल कर राष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्राप्त करना हो ,या फिर मायावती का पूर्ण बहुमत में उत्तर प्रदेश में सरकार में लौटना , यह उनके राजनीतिक उदय का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। लेकिन यहां ध्यान रखना जरूरी है कि जिस तरह से मायावती ने राजनीति के गलियों से लेकर सत्ता की कुर्सी तक पूरा ध्यानकेंद्रित अपने ऊपर रखा उसका नतीजा रहा कि वर्ष 2012 के बाद से मायावती का राजनीतिक सूरज अस्त होने की तरफ बढ़ते हुए दिखाई देने लगा । 2014 लोकसभा में बसपा को एक भी सीटें न मिलना और 2022 की विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट पर सिमटने वाली बसपा को भी हमने देखा है ।
यह तो रहा भूमिका लेकिन कहने का आशय यह है कि जिसका उदय हुआ है उसका अस्त होना भी तय है , चाहे पूरब से उदय होने वाले सूरज का पश्चिम में अस्त होना या फिर धरना प्रदर्शन और भ्रष्टाचार का हवाला देकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने वाले नेता की बात हो एक स्वस्थ समय आने के बाद सबका शाम ढलना तय है । अब हम बात करेंगे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो गरीबी , बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी मुद्दे पर कोई खास राय नही रखते हैं , वह केवल मंच और मीडिया के सामने गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर जुमलाबाजी भाषण देकर लोगों के जेहन को हाईजैक करते हुए सत्ता की कुर्सी पर जमे रहना चाहते हैं , 2014 से ही देश की जनता से सस्याओं को लिस्ट दिखा कर उसपर समाधान लाने की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी 10 वर्षों का कार्यालय पूरा करने वाली है लेकिन बाजारीकरण वाले योजनाओं को छोड़ दें तो अभी तक कोई भी ऐसा कार्य इस सरकार में नही हुआ है जिसकी वजह से लोगों के जीवन और जीविका के क्षेत्र में बदलाव आए ।ऐसी स्थिति पर नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार से भी देश की जनता का मोह भंग होना तय है बशर्ते हिंदी ,हिन्दू और हिंदुस्तान के नाम पर फैलाये जा रहे प्रोपोगंडा का नशा उतरने तो दीजिये।