सौरभ वीपी वर्मा
स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर इस देश में खूब ढोल पीटे गए जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उनके आसपास के अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का जाल बिछाने के नाम पर लाखों करोड़ों रुपया खर्च हुआ , लेकिन चिकित्सा विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को लागू करने के बजाय कमीशन खोरी के चलते सरकारी अस्पताल की सेवाओं को या तो चलने नही देते हैं या फिर जान बूझ कर मशीनों को खराब कर देते हैं ताकि मरीज आएं और बाहर प्राइवेट में भी जाकर हजार -दो हजार खर्च करने करें और पीछे के रास्ते शाम को जेब से गर्म कर अपने घर निकल जाएं।
ऐसा ही मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौर का है जहां पर करीब 4 महीने से एक्स-रे मशीन ताला बंद कमरे में रखी गई है , एक्सरे टेक्नीशियन कहीं अन्य जगह पर सेवा दे रहा है । लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक यह जहमत नहीं उठाई कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आकर रखी गई मशीन को वहां पर आने वाले मरीजों के लिए चालू कर दिया जाए ।
बात साफ है की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक को शाम को मेडिकल स्टोर , लैब ,एक्सरे एवं अल्ट्रासाउंड सेंटरों से वसूली करनी है इस लिए वह सरकारी यंत्र को चलने में मदद क्यों करें ।