प्रदीप पाण्डेय
जैसे-जैसे साईबर फ्रॉड को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे साईबर जालसाज भी जालसाजी के तरीकों में नए-नए बदलाव कर रहे हैं। आए दिन ठगी के नए तरीकों से लोगों की मेहनत की कमाई पर चपत लग रही है। बदमाश ठगी के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। बात चाहे सोशल मीडिया की हो, शॉपिंग की, लोन या क्रेडिट कार्ड दिलाने की आपको हर तरफ ठग मिल जाएंगे। इनका तरीका ऐसा होता है कि आम आदमी आसानी से ठगों के झांसे में आ जाते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं ठगी के कुछ नए तरीकों के बारे में, जिनके जरिये बदमाश लोगों के खातों में सेंध लगा रहे हैं।
सोनहा थाना क्षेत्र के परसोहिया गांव निवासी प्रदीप पाण्डेय के पास 10 मार्च रात करीब 9 बजे एक अज्ञात नंबर से फोन आता है। फोन करने वे व्यक्ति अपने को केनरा बैंक क्रेडिट कार्ड एजेंट बताकर उसको क्रेडिट कार्ड दिलाने की बात करता है इसी बीच कार्ड जारी करने के लिए उसके नंबर पर ओटीपी भेजता है। प्रदीप ने शक होने पर ओटीपी नहीं दिया तो साइबर ठग ने उसे वाट्सएप पर एक लिंक भेजा जिसमें बोला कि क्रेडिट कार्ड पाने के लिए उसमें दिए गए फार्म को भरना हैं। प्रदीप ने सोचा ओटीपी तो दिया नहीं है फॉर्म भरने में क्या होता है। उसने उस फॉर्म को जैसे ही भरा प्रदीप के फ़ोन पे पर पहले से ही लिंक रहे पंजाब नेशनल बैंक के क्रेडिट कार्ड से करीब 10 मिनट बाद 9785 रूपए काट लिए गए। प्रदीप ने तुरंत धैर्यता से काम लिया उसने पहले पंजाब नेशनल बैंक के क्रेडिट कस्टूमर केयर पर फोन कर पहले कार्ड को ब्लाक कराया। फिर साईबर हेल्पलाइन नम्बर व वेबसाइट पर जाकर एक शिकायत दर्ज कराई। उसके बाद उसने फोनपे पर ही मौजूद शिकायत प्रकोष्ठ में एक शिकायत कर शिकायती टिकट ले लिया। इन सभी के बाद भी वह चुप नहीं बैठा दूसरे दिन साईबर थाना बस्ती में पहुँचकर एक प्रार्थना पत्र भी दिया। कई बार फोनपे के द्वारा दिए गए टिकट कर दूसरे दिन कई बार शिकायत की स्थिति को जांचता रहा। तब जाकर 24 घण्टे बाद उसकी शिकायत को फोनपे ने संज्ञान लिया व दूसरे दिन रात करीब 9;12 बजे उसके पैसे पर रोक लगाकर 9785 रुपए उसके क्रेडिट कार्ड में रिफंड कर दिया। जो पैसा उसे 13 मार्च को उसके क्रेडिट कार्ड में जमा हो गया।
कुछ इस तरह हुआ था प्रदीप के साथ फ्राड
दरअसल हुआ यह था कि जालसाज द्वारा भेजे गए लिंक को जिसको प्रदीप ने नजरअंदाज कर उस फार्म की भरा था। उस लिंक में (ऑटो फारवर्ड एमएमएस) एप्लिकेशन था जिसको खोलने के बाद फॉर्म भरते समय वह मोबाईल फोन में इंस्टाल हो गया। उसके नम्बर पर प्रदीप के मोबाईल पर आने वाले सभी मैसेज को जालसाज के नंबर पर फारवर्ड किया जा रहा था। जिसके द्वारा जालसाल ने उसके फोनपे एकाउंट को हैक कर प्रदीप के मोबाईल नम्बर पर प्राप्त हो रही की जो एप्लिकेशन के माध्यम से जालसाज के नम्बर पर जा रहा था उस ओटीपी से उसी समय अन्य मोबाईल से फोनपे में लॉगइन कर उसके पैसे को हड़प लिया गया था। प्रदीप को इस बात कि जानकारी बाद में हुई जब उसने अपने मोबाईल के एप्लिकेशन में जाकर देखा जिसमें साईबर ठग द्वारा भेजा गया एप्लिकेशन इंस्टॉल था। तब सबसे पहले उसने उस एप के सारे डाटा को क्लियर कर उस एप्लिकेशन को अनइंस्टॉल किया।
प्रदीप ने सभी से आगाह किया है कि किसी नंबर से आ रहे किसी लिंक को बिना सोचे समझे न खोलें न ही किसी को अपना ओटीपी बताएं। अगर किसी के साथ ऐसा होता है तो वह व्यक्ति भी ऊपर प्रदीप द्वारा बताए गए तरीकों को अपनाकर जालसाजी हुए पैसों को दोबारा प्राप्त कर सकता है। अपने मोबाईल के एप्लिकेशन मैनेजर में यह जाकर जरुर देखते रहें कि कोई ऐसा एप्लिकेशन डाउनलोड तो नहीं है जो किसी तरह संदेहजनक है। यदि कोई ऐसा एप्लिकेशन है तो उसके डाटा को क्लियर कर एप्लिकेशन को अनइंस्टॉल कर दें।