सौरभ वीपी वर्मा
28 अप्रैल 2024
बस्ती लोकसभा सीट पर भले ही सपा के समर्थक जोश भर रहे हैं कि चुनाव उनके पक्ष में है लेकिन भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग ने सपा और बसपा दोनों को चुनौतियों के डब्बे में बंद कर दिया है ।
समाजवादी पार्टी जहां एमवाई समीकरण के साथ बस्ती लोकसभा सीट पर कुर्मी वोटरों के सहारे सीट पर जीत सुनिश्चित करना चाहती है तो वहॉं बसपा भी दलित और ब्राह्मण वोटों की बड़ी संख्या के आधार पर अपने प्रत्याशी को विजय की तरफ ले जाने के लिए उत्सुक है । लेकिन बस्ती लोकसभा सीट पर भाजपा की रणनीति और मोदी के चेहरे के आधार पर अभी तक की स्थिति में सपा और बसपा दोनों को कोई खास बढ़त मिलता हुआ नही दिखाई दे रहा है।
सपा और बसपा प्रत्याशी केवल जातीय समीकरण के हिसाब से चुनाव में जीत मान रहे हैं लेकिन भाजपा की बात करें तो उसका जातीय वोटरों के साथ जमीन पर उसके वोट बैंक 2014 और 2019 की तरह बरकरार है । ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट में अभी तक जो आंकड़े मिले हैं उसमें बस्ती लोकसभा सीट पर भाजपा का बढ़त स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है।
जिस जातीय समीकरण को बैठा कर सपा और बसपा प्रत्याशी ताजपोशी चाहते हैं उसके महिला मतदाताओं में भाजपा की अच्छी पकड़ है । भाजपा के पास जहां मुफ्त राशन , किसान सम्मान निधि , राम मंदिर के नाम पर वोट है वहीं महिला समूहों का भी एक बड़ा वोट बैंक भाजपा की रुझान में है जिसमें दलित और ओबीसी वोटों की संख्या ज्यादा है जिसके जरिये भाजपा को फायदा मिलना स्वाभाविक है। इस लिए चाय चुक्कड़ की दुकानों पर बैठ कर जीत का शेहरा बांधने वाले विपक्ष के लोग इस गलतफहमी में नह रहें कि उनका पलड़ा भारी है।