सौरभ वीपी वर्मा
देश के किसानों से 15 रुपया किलो प्याज खरीद कर खाड़ी देशों में 120 से 150 रुपया किलो बेंचा जा रहा है ,सवाल यह है कि जब प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है तो आखिर किसके इशारे पर प्याज देश से बाहर जा रहा है ।
निर्यातकों का कहना है कि एक किलोग्राम प्याज के लिए भारतीय किसानों को 12 से 15 रुपये का भुगतान किया जा रहा है, लेकिन यही प्याज़ जब यूएई पहुंचता तो वहां इसकी कीमत 120 रुपये प्रति किलोग्राम हो जाती है.
सवाल है कि जब प्याज़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है, तो सरकार चुनिंदा देशों को प्याज क्यों बेच रही है? क्या भारत सरकार कूटनीति के लिए अब प्याज का इस्तेमाल कर रही है? अगर बाहरी दुनिया में प्याज बेंचे जा रहे हैं तो किसानों को धोखा क्यों दिया जा रहा है क्या इस देश का किसान अपनी प्याज को 50 रुपया किलो पाने का हक नही रखता ,जो खाड़ी देशों में जाकर डेढ़ सौ में बिक रहा है।
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर के मुताबिक भारत ने 'बांग्लादेश को 50,000 टन, भूटान को 550 टन, बहरीन को 3,000 और मॉरिशस को 1,200 टन प्याज़ के निर्यात' की इजाज़त दी है.
आम तौर पर वैश्विक बाजार में प्याज की कीमतें 30 रुपये से 35 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रहती हैं. हालांकि हाल के महीनों में यूएई जैसे प्रमुख बाजारों में कीमतें 150 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं.इन कीमतों में उछाल इसलिए आया है, क्योंकि भारत, पाकिस्तान और मिस्र ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.
द हिंदू अखबार के मुताबिक निर्यातकों को जानकारी मिली है कि हाल ही में 500 से 550 डॉलर प्रति टन के हिसाब से यूएई को प्याज भेजा गया है. अगर भारतीय रुपये में प्रति किलोग्राम प्याज की बात करें तो यह 45 से 50 रुपये के बीच है.
अखबार के मुताबिक भारत से प्याज खरीदने वाले यूएई के आयातकों को 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा हो चुका है.अनुमान है कि 10 हजार मीट्रिक टन प्याज जब यूएई जाएगा, तो आयातकों को करीब एक हजार करोड़ रुपये का मुनाफा होगा.
सच तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन है जो पीछे के रास्ते से बड़े व्यापारियों से करोड़ो रुपया लेकर प्याज निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद भी निर्यात को मंजूरी दे रही है , जो प्याज पैदा कर रहा है उसके जीवन में सुधार नही आ पा रहा है और जो बिचौलिया का काम कर रहा है वह हजारों करोड़ की कमाई कर रहा है इससे स्पष्ट होता है कि यह सब भाजपा सरकार को दोगली चाल है जो किसानों के साथ छलावा कर रही है ।