सौरभ वीपी वर्मा
16 अप्रैल 2024
बस्ती - एक तरफ जनपद के जिलाधिकारी आंद्रा वामसी अपने कार्यों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं दूसरी तरफ कुर्की के बाद कबाड़ में बिक रही बस्ती शुगर मिल की वजह से सवालों के घेरे में खड़े हो चुके हैं।
बस्ती और वाल्टरगंज शुगर फैक्ट्री कई वर्षों से बंद पड़ी हुई है वर्ष 2013 में बस्ती शुगर फैक्ट्री बंद हुई उसके बाद वर्ष 2018 में वाल्टरगंज शुगर फैक्ट्री भी बंद हो गई । एक ही ग्रुप की दोनों फैक्ट्रियों पर किसानों और कर्मचारियों का बड़ा बकाया है ,कर्मचारियों के लंबे समय तक चले धरना प्रदर्शन के बाद दोनों शुगर फैक्ट्रियों को कुर्क कर लिया गया ताकि किसानों और कर्मचारियों के करीब 55 करोड़ के बकाए का भुगतान किया जा सके लेकिन समझौते के बाद भी कर्मचारियों के बकाया भुगतान दिए बगैर चीनी मिल के मशीनों को ट्रकों में लादकर भेजा जा रहा है ।
बस्ती शुगर फैक्ट्री को वर्ष 2023 में 35 करोड़ रुपये में बेंच दी गई जिसपर स्थाई कर्मचारियों का करीब 2 करोड़ रुपया एवं क्षेत्रीय कर्मचारियों का लगभग 8 करोड़ रुपया बकाया है चीनी मिल बिकने के बाद कुछ पैसे का भुगतान किया गया लेकिन सभी कर्मचारियों का बकाया भुगतान नही मिल पाया उसके बाद भी बस्ती शुगर फैक्ट्री के सामानों को बेंचा जा रहा है ।
सवाल यह है कि जब मिल नीलाम हो चुकी है और अभी तक कर्मचारियों का बकाया भुगतान नही मिल पाया है तो आखिर मिल मालिक, जिला प्रशासन और दलाल मिलकर किसके शह पर जोर जबरदस्ती करके मिल के उपकरण उठा कर ले जा रहे हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस व्यापारी द्वारा चीनी मिल को खरीदा गया है जब उसके लोग शुगर फैक्ट्री के सामानों को काटने के लिए शुगर मिल पहुंचे तब अपना बकाया भुगतान न पाने वाले कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया था उसके बाद व्यापारी की तरफ से कुछ लोगों ने जिलाधिकारी बस्ती से मुलाकात की और उनके तरफ से मिल के सामानों को ले जाने के लिए हरी झंडी दी गई उसी मुलाकात के बाद एसडीएम शत्रुघ्न पाठक मिल के उपकरणों को ट्रक में लदवाकर सुरक्षाकर्मियों के सहयोग से मिल से बाहर निकलवा रहे हैं. क्या यह माना जाए कि डीएम अंद्रा वामसी ने कर्मचारियों के हित को दरकिनार कर व्यापारी के साथ खड़े हो चुके हैं।