सौरभ वीपी वर्मा
देश में मध्यप्रदेश से लेकर बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश,उत्तरांखड, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में पेपर लीक के मामले सामने आ चुके हैं । एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 साल में देश के 15 राज्यों में हुई 45 परीक्षाएं पेपर लीक का शिकार हुईं जिसके बाद करीब 1.4 करोड़ परीक्षार्थी के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया। यह सिर्फ एक मोटा-मोटा आंकड़ा है, अगर पेपर लीक के इस बेहद गहरे दलदल में उतरेंगे शायद इसकी भयावह हकीकत पर किसी को यकीन नहीं होगा। जानते हैं पिछले कुछ सालों में कैसे स्कूल से लेकर तमाम तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक ने देश के शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है। बावजूद इसके अब तक इस मामले में कोई बडी गिरफ्तारी नहीं हुई। आमतौर पर छोटे स्तर के कर्मचारियों पर आरोप लगाकर मामले को बरी कर दिया जाता है । ऐसी स्थिति में सवाल खड़ा होता है कि लगातर हो रहे पेपर लीक का जिम्मेदार कौन है और कौन इसपर जवाबदेही तय करेगा?
इस देश में करोड़ो बच्चे ऐसे हैं जिनके मां बाप अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए ऋण लेते हैं , खेत गिरवी रख देते हैं ,कड़ी मेहनत करते हैं ताकि बच्चों के पढ़ाई और ट्यूशन का फीस समय से जमा हो सके लेकिन मुट्ठी भर लोग जिन लोगों ने अनैतिक तरीके से पैसे की कमाई की है और जिनके बच्चे पढ़ने लिखने में लोफर हैं उनको सरकारी नौकरी में लाने के लिए सरकारी परीक्षा व्यवस्था में सेंधमारी की जा रही है ताकि ईमादारी और मेहनत से पढ़ाई करने वाले बच्चों की सीट को बेईमानी के पैसे से हड़पा जा सके।
अब यह वह वक्त आ गया है कि सरकार पेपर लीक जैसी मामले में ठोस कानून बनाए ताकि भ्रष्ट एवं अनैतिक सिस्टम की वजह से बर्बाद हो रहे हैं लाखों बच्चों का भविष्य बचाया जा सके अन्यथा वह वक्त भी आने में देर नहीं है जब इस देश के छात्र छात्राओं द्वारा इस देश के जिम्मेदार लोगों को जवाबदेही तय करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाकर मजबूर कर दिया जाएगा ।