पूरे देश में आज यानी कि सोमवार से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। इन तीनों कानून के लागू होने के बाद भारत की न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होने वाला है। अभी तक तो देश में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 का भारतीय साक्ष्य अधिनियम सक्रिय चल रहा था, लेकिन अब उनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा सहायता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है।
सबसे अहम बदलाव तो आपको तुरंत देखने को मिलने वाला है। नए कानून के लागू होते ही जीरो FIR, एसएमएस के जरिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किसी को समन भेजना, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण होना, यह सब कुछ अब होने जा रहा है। अभी तक तो जब भी जघन्य अपराध होता था तो अपराध स्थल पर वीडियो ग्राफी अनिवार्य नहीं थी। इसकी कोई बाध्यता नहीं रहती थी, लेकिन नए कानून लागू होने के बाद यह भी अनिवार्य होने जा रहा है।
अभी इस समय सभी के मन में सवाल यह है कि आखिर तीन कानून के लागू होने के बाद असल में क्या-क्या बदलाव होने वाले हैं। तो आपको आसान 10 पॉइंट में समझा देते हैं कि आखिर इन तीन नए कानून की वजह से आखिर क्या बड़ा परिवर्तन होने वाला है।
बदलाव नंबर 1- आपराधिक मामलों के जितने भी फैसला सुनाए जाते हैं, उनमें पहले सुनवाई के बाद फैसला देने में 60 दिन तक लग जाते थे, लेकिन अब यह अवधि 45 दिन की होने जा रही है यानी की 15 दिनों की कटौती।
बदलाव नंबर 2- बलात्कार पीड़ितों का जब भी मेडिकल किया जाएगा, हर कीमत पर 7 दिनों के अंदर में रिपोर्ट आनी होगी।
बदलाव नंबर 3- जो नए कानून लागू हुए हैं उसमें अब बच्चों को खरीदना या बेचना जगन्य अपराध माना जाएगा। इसी तरह अगर नाबालिक के साथ बलात्कार होता है तो आजीवन कारावास या फिर मृत्यु दंड की सजा भी मिल सकती है।
बदलाव नंबर 4- अब अगर शादी के झूठे वादे कर महिला को छोड़ दिया जाएगा तो इसको लेकर भी दंड के सख्त प्रावधान कर दिए गए हैं।
बदलाव नंबर 5- चाहे आरोपी हो या फिर पीड़ित, दोनों को 14 दिनों के अंदर में पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट मिलने का पूरा अधिकार रहने वाला है।
बदलाव नंबर 6- महिलाओं के खिलाफ जब अपराध होगा तब सभी अस्पतालों को मुफ्त में इलाज करना होगा, अगर बच्चों के साथ अपराध होंगे तब भी अस्पताल मुफ्त इलाज के लिए बाध्य रहेंगे।
बदलाव नंबर 7- इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही किसी भी मामले में FIR दर्ज की जा सकेगी, पहले की तरह पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं रहेगी। अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर भी अगर वो चाहे तो FIR दर्ज करवा पाएगा।
बदलाव नंबर 8- अगर गंभीर अपराध होंगे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का घटनास्थल पर जाना जरूरी होगा, पहले जरूरत के मुताबिक यह फैसले लिए जाते थे।
बदलाव नंबर 9- लिंग की परिभाषा में ट्रांसजेंडर समाज के लोगों को भी शामिल कर लिया गया है। इससे समानता को बढ़ावा मिलेगा और जमीन पर स्थिति बदलेगी।
बदलाव नंबर 10- महिला पीड़िता के बयान को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए। बलात्कार जैसे मामलों में ऑडियो-वीडियो माध्यम से बयान दर्ज होने चाहिए।
यह बात जानना भी जरूरी
इस सब के अलावा आपको यह भी पता होना चाहिए कि अब नए कानून में कई धाराएं भी बदल दी गई हैं। उदाहरण के लिए अब बलात्कार की धारा 375 और 376 नहीं रहने वाली है, इसी जगह सर्फ धारा 63 रहेगी। वही अगर सामूहिक बलात्कार का मामला होगा तो धारा 70 लगेगी। इसी तरह हत्या होने पर अब धारा 302 नहीं लगने वाली है, उसकी जगह 101 ने ले ली है। तीन नए कानून लागू होने के बाद 41 अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ा दिया गया है, 82 अपराधों में जुर्माना ज्यादा कर दिया गया है। मॉब लिंचिग और कुछ दूसरी ऐसी घटनाओं को लेकर भी नए अपराध बना दिए गए हैं।