1947 में जब देश आजाद हुआ था तब इस बात की कल्पना नहीं हुई थी कि इस देश से गोरे लोगों के जाने के बाद भूरे साहबों द्वारा सरकारी धन से विकास कार्य महज इस लिए किए जाएंगे ताकि उनके हिस्से में कमीशन की मोटी रकम आ जाये , लेकिन आजादी के साढ़े सात दशक बाद यह सिद्ध हो गया है कि देश के विकास के लिए केंद्र से मिलने वाले धन को जिम्मेदार लोग मिल बांट कर खाते हुए अपने पेट को मजबूत कर रहे हैं।
यह तस्वीर जनपद के भानपुर स्थित तहसील भवन के प्रांगण में लगे हाईमास्ट का है जो लगने के चंद दिनों बाद ही टूट गया एवं लाइटें गायब हो गईं। आखिर सवाल खड़ा होता है जिस प्रांगण में तहसीलदार और एसडीएम जैसे सक्षम अधिकारी बैठ रहे हों वहां पर इस अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन है ।